मनोरंजन

गजल – मधु शुकला

सनम  ये चाँदनी  रातें  हमारा दिल दुखातीं हैं।

मुलाकातें  हमारीं याद  रह – रह कर दिलातीं हैं।

 

सुहानी  चाँदनी  रातें  हमारे  प्यार  कीं बातें,

अकेला देखकर हमको चलीं नजदीक आतीं हैं।

 

तुम्हारा  दूर जाना  खल  रहा  है चाँद तारों को,

मधुर अठखेलियाँ उनकीं न खुल कर मुस्करातीं हैं।

 

कहें  ये चाँदनी  रातें  हमारी  प्रिय मुलाकातें,

करो फरियाद मिलने की मिलन के गीत गातीं हैं।

 

महकतीं केश कीं लड़ियाँ खनकतीं हाथ कीं चूडीं,

विरह के गीत गा-गा कर हमें अक्सर सुनातीं हैं।

 

तुम्हें क्या याद  आतीं हीं नहीं वो चाँदनी रातें,

हमें तो हर घड़ी अपनीं मुलाकातें रिझातीं हैं।

— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश

Related posts

ग़ज़ल – विनोद निराश

newsadmin

कुछ घाव पुराने लगते हैं – किरण मिश्रा

newsadmin

बेटी तो, ऐसी ही होती है – गुरुदीन वर्मा .

newsadmin

Leave a Comment