प्रसून है प्रिय का,
प्रिय का ही रहेगा।।
कि प्रसून है प्रिय का,
प्रिय का ही रहेगा।।
कांटे का मत समझना,
अरे कांटे का मत समझना ।।
रोहित हूं तेरा,
कि रोहित हूं तेरा।।
किसी और का मत समझना,
किसी गैर का मत समझना।।
तेरा था, तेरा हूं और तेरा ही रहूंगा,
कि मैं तेरा था, तेरा हूं और तेरा ही रहूंगा।।
मुझसे एक वादा करो,
तुम मुझसे एक वादा करो।।
तुम मुझे छोड़ के,
अरे तुम मुझे छोड़ कर।।
कभी जाना नहीं,
तुम मुझे छोड़ कर कभी जाना नहीं।।
इसीलिए तो बोला मैंने,
अरे इसीलिए तो बोला मैंने।।
प्रसून है प्रिय का,
प्रिय का ही रहेगा।।
रोहित हूं तेरा,
मैं तेरा ही रहूंगा।।
तुम बनो या ना बनो मेरी,
अरे तुम बनो या ना बनो मेरी।।
मैं सदा तेरा हो जाऊंगा,
अरे मैं सदा।।
अरे मैं सदा अरे मैं सदा,
तेरे बिना रह जाऊंगा।।
इसलिए तुम भी,
अरे इसलिए तुम भी।।
बोलो कि मैं तुम्हारी हूं,
सदा तुम्हारी ही रहूंगी।।
सदा तुम्हारी ही रहूंगी,
अरे सदा तुम्हारी ही रहूंगी।।
भूलकर भी तुम,
अरे भूलकर भी तुम।।
कांटा मत समझना,
तुम मुझको कांटा मत समझना।।
अगर मैं कांटा बन गया तो,
अगर मैं कांटा बन गया तो।।
जीते जी मर जाऊंगा,
अरे मैं जीते जी मर जाऊंगा।।
इसलिए तुम भी बोलो,
मैं तुम्हारी हूं तुम्हारी ही रहूंगी।।
अरे मैं तुम्हारी हूं तुम्हारी ही रहूंगी,
तुम्हारी हूं मैं तुम्हारी ही रहूंगी।।
– रोहित आनंद, मेहरपुर, बांका, बिहार