(1)”त “, तस्वीर बदल पूरी चुकी
अब क्या देखता यहां !
मुद्दत हुयी गुजरे उसे…….,
अब क्या खोजता यहां !!
(2)”ला “, लापता है बरसों से
वो कहां मिलेगा अब !
छोड़ दी तमन्ना ही….,
टूट चुका है सब्र !!
(3)”श “, शक था कि मिलेगा
वो एक दिन यहां !
सपना था जो देखा….,
होगा शायद पूरा यहां !!
(4)”तलाश”, तलाश क्यूं जारी है
हो चुकी देरी बहुत !
तलाशते हैं फ़िर भी…..,
हैं उम्मीदें अभी जीवित !!
(5)”तलाश”, तलाश है स्वयं की
ख़ुद की ख़ुद से !
भटक रहा जंगल में….,
ना जाने कब से !!
(6) तलाशते रहें जीवन भर
फिर भी तलाश अधूरी !
अगर-मगर काश में….,
बीती ये ज़िन्दगी पूरी !!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान