कान्हा चितचोर मोहिनी बजावे बांसुरिया।
मुरली की धुन पर गोपियां सब नाचे।
बिंदाबन औरी जमुना भी नाचे।
संगवा में राधा नाचे धरी अंचरा के कोर।
मोहिनी बजावे बांसुरिया…………….।
जमुना किनारे कान्हा होली खेले।
पकड़ी कलाई राधा चुनरिया रंगेले।
गोकुला में धूम मचल चहुंओर।
मोहिनी बजावे बांसुरिया…………..।
भागेली राधे पीछे पीछे कान्हा।
बिचवा में गोपियां बन जाली बाधा।
बरसेला रंगवा बड़ा घनघोर।
मोहिनी बजावे बांसुरिया।
कान्हा के होली देख मगन होले देवता।
संगवा में होली खेले देले सबके नेवता।
भारती के मनवा भईले विभोर।
मोहिनी बजावे बांसुरिया।
कान्हा चितचोर मोहिनी बजावे बांसुरिया।
– श्याम कुंवर भारती (राजभर)
बोकारो , झारखंड मोब.9955509286