जिंदगी बेजान क्यों है।
पूछता इंसान क्यों है।
ढ़ूंढ़ता आसान रस्ता।
बोलता है हाल खस्ता।
आदमी बेहाल देखो।
बोलता जंजाल देखो।
रोज करता है तमाशा।
बोलता आशा निराशा।
काम से है जी चुराता।
बात से सबको हँसाता।
राह अपना भूल बैठा।
देख दिल में शूल पैठा।
आदमी का काम जानो।
बात सबकी रोज मानो।
नाम जप लेना हरि का।
सीख जीने का तरीका।
जिंदगी आसान होगा।
सोंच तेरा नाम होगा।
प्यार का होगा तराना।
गीत गायेगा जमाना।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड