मनोरंजन

बरवै छंद – मधु शुक्ला

गोप गोपियां हिल मिल, खेलें फाग।

छेड़ छेड़ झांझर मधु, छेड़ें राग।।

 

भीग रहे रंगों में, राधा श्याम।

पहुँच रहे हैं दर्शक, गोकुल धाम।।

 

ताली बजा बजा कर, झूमें लोग।

भक्त सभी खुश पाकर, यह संयोग।।

 

प्रेम   रंग   ही  सबसे,   सुंदर   रंग।

असर देखकर इसका, दुनियाँ दंग।।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

भेदभाव लागे दुखदाई – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

गीत – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

वह चले गए – रेखा मित्तल

newsadmin

Leave a Comment