चाँद चमके निहारी पुकारी पिया,
चाँदनी देख जीवन गुजारी पिया।
जब उजाला सताये रुलाये बड़ी,
चोट खाई सदा मुस्कुराई पिया।
हाल केबा सुनी केकरा से कहीं,
दर्द आपन हमेशा छुपाई पिया।
का भरोसा करीं बेकयामी सबे,
बात जानी जहाँ के बताई पिया।
रूप घूँघट लुकाके छिपाके चलीं,,
लोग देखी तमाशा बनाई पिया।
हाल बेहाल जानी जमाना बुरा,
बात कबले बताई छुपाई पिया।
नैन तरसे गुजारीं इहाँ रातदिन,
हरघड़ी बैठ कजरा बहाई पिया।
बात सोचीं जरा का इहे जिंदगी,
नेह बाती हिया में जलाई पिया।
ल़ीं पपीहा पुकारे बड़ी जोर’अनि’
दौड़ आई करेजा जुड़ाई पिया
– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड