धर्म की ध्वजा धारि के,
ले परमात्मा की ओट।
जो जन द्वंद फैलाय रहे,
उनके दिल में है खोट ।
उनके दिल में है खोट,
वोट के हैं केवल दीवाने।
सत्ता आयी हाथ ज्यों,
त्यों जनता पहुंची पयताने।
जब तक होंगे चुनाव न,
तब तक बजेंगे धर्म तराने।
रेवड़ियों की होंगी बरसात,
कैंची के हैं दिन फिर आने।।
नाम पर, धर्म के देश में,
छिड़ी हुई अनोखी जंग।
चिकित्सा शिक्षा रोजगार,
इसके आगे सब बदरंग।
इसके आगे सब बदरंग,
रंग गजब देश का बदला।
चुनाव की चौसर के लिए,
हरी गजब मुद्दा है उछला।
हे ईश अब तुम्हीं बताओ,
क्यों लड़ रहे लोग भला ।
स्वार्थ में अर्थ हित, सदा उठा ,
तुम्हारे नाम पर जलजला।।
– हरी राम यादव , बनघुसरा,
अयोध्या, उत्तर प्रदेश
7087815074