(1)”जी “, जी भरके जीलें हम जीवन
इस पल का हम स्वागत करें !
हर्षाते चलें यहां पर जीवन….,
हर पल को आनंद से भरें !!
(2)”व “, वरदान प्रभु का है जीवन
अनमोल अमूल्य है जीवन !
जीवन की जीएं हर पल-क्षण….,
रहें सदा यहां हम प्रसन्न !!
(3)”न “, नमन वंदन प्रभु का अभिनन्दन
करते चलें यहां हरेक दिन !
जीवन बगिया को महकाएं….,
सरसाएं तन मन ये जीवन !!
(4)”जीवन “, जीवन है प्रारब्ध कर्मों का फल
सत्यमार्ग पे चलते चलें !
कभी ना देखें मुड़कर पीछे…..,
आगे की सुधि लेते चलें !!
(5)”जीवन “, जीवन को जीवन से समझें
सदा चलें तलाशते यहां जीवन !
स्वयं को स्वयं से ही जानें……,
जीते चलें जीवंत जीवन !!
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान