दोस्ती आजकल निभानी हैः
कीमती है दुआ बचानी है।।
जिंदगी अब घिरी पनाहों से।
मुश्किलों से हमे बचानी है।
लफ्ज़ होठों पे आ खडे मेरे।
बात दिल की बनी कहानी है।
जल्द है सालगिरह अब मेरी।
आज हमको मिली निशानी है।
हो रहे जश्न भी गली मे अब
मिलके खुशियाँ हमें मनानी है।
– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , चंडीगढ़