सोया हुआ जमीर जगेगा बताईये।
समझो कीमत जमीर की बचेगा बताईये।
महनत करे तो लोग जमीं को छु पायेगे।
होगा न कोइ डर वो तो बढेगा बताइये।
नाराज हो रहे हालत देख जमाने की।
वो लूटते हैं खास को मरेगा,बताइये।
नखरे हैं आज घर में बिना बात के अरे।
कैसे ये घर भी आज चलेगा बताइये।
तू डूब जा जुनून की हद से जमाने मे।
आखिर जुनून किस की सुनेगा बताइये।
-ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली, चंडीगढ़