मनोरंजन

गजल- ऋतु गुलाटी

जिंदगी का आइना भी खो गया।

चाह का था आसरा भी खो गया।

 

बिन तुम्हारे हम अजी कैसे जिये।

दूरियों का सिलसिला भी हो गया।

 

खूबसूरत सी लगी ये जिंदगी।

प्यार का हमको नशा भी हो गया।

 

चाँदनी देखो कहाँ अब छुप गयी।

चाँद ढूँढे, अब पता भी खो गया।

 

यूँ खफा तुम आज हमको भी दिखे।

आज  यारो  आसरा  भी  खो गया।

 

हाय अब कैसे कटेगी जिंदगी।

यार मेरा हमनवा भी खो गया।

 

आज डूबे है तिरी अब याद में।

अक्स खोया आइना भी खो गया।

– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , चंडीगढ़

Related posts

तू चल मैं आता हूं – ज्योति अरुण

newsadmin

सबका मालिक एक – हर्ष जैन सहर्ष

newsadmin

गीतिका – मधु शुक्ला

newsadmin

Leave a Comment