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सरसर पवन शरद ले आई – अनिरुद्ध कुमार

कुसुम कली यौवन झकझोरे,

पुष्प पात मदमस्त हिलोरे,

कमल अंजुरी रत्न बटोरे,

जड़ चेतन में सिहरन छाई,

अलसाई लगती तरुणाई।

सरसर पवन शरद ले आई।

 

धरती अंबर शीतल मनहर,

हरियाली मनभावन झरझर,

सुर सुरीला ताने कोयलर,

पुष्प पराग उड़ावे फरफर,

आनंदित झिर झिर पुरवाई,

कानों में बजती शहनाई।

सरसर पवन शरद ले आई।

 

शरद समीर मंद लहराये,

जड़ चेतन पर रंग जमाये,

आकुलता में इत उत धाये,

सुप्त लुप्त हर भाव जगाये,

मस्त आज झूमें अमराई,

सजधज के धरती बलखाई।

सरसर पवन शरद ले आई।

– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड

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