neerajtimes,com- मेरे विद्यालय का नाम एंबीशन पब्लिक स्कूल है। इस विद्यालय का दो ब्रांच है। एक शंभूगंज में पड़ता है। दूसरा चौतरा में पड़ता है। हम लोग अपने विद्यालय के तरफ से दिनांक 20 तारीख दिन रविवार को भीम बांध शैक्षणिक भ्रमण करने के लिए आए। मेरे साथ मेरे शिक्षक, मित्र एवं हमसे बड़े लोग भी इस जगह शैक्षणिक भ्रमण करने के लिए आए। हम लोगों ने खूब मौज-मस्ती किया। चिप्स खाया, चॉकलेट खाया और कुरकुरे भी खाया। हम लोगों ने रास्ते में मिठाइयां भी खरीदी। प्लेट भी खरीदी। हम लोगों ने रास्ते में मन को आकर्षित करने वाला कुछ स्मारक भी देखे । उसके बाद हम लोग जंगल में आ गए। वहां पर इंटरनेट तक का भी सुविधा नहीं था। हम लोगों ने जंगल में सांपों का घर भी देखा। हम लोगों ने तरह-तरह की चीटियां भी देखीं, बड़े-बड़े, छोटे-छोटे पेड़ पौधे भी देखें। हम लोगों ने सीआरपीएफ कैंप भी देखा। जब हम लोगों ने सीआरपीएफ कैंप देखा तब हम लोग भीम बांध एंटर ही करने वाले थे। हम लोगों ने खरगपुर झील भी देखा। हम लोगों ने दूर से ही पहाड़ का नजारा इतना सुंदर देखा बहुत ही सुंदर देखा। थोड़ी देर में हम लोग भीम बांध आ गए। हम लोगों ने वहां पर भी तरह-तरह के पत्थर एवं जड़ी बूटियां वाले पौधे भी देखें। हम लोगों ने एक तरह का कुंड भी देखा। उसका पानी बहुत ही गर्म था वह भी हद से ज्यादा। बाद में हमें इस रहस्य का पता चला। मैं बाद में योगेंद्र सर से एक प्रश्न किया सर यह गर्म पानी कहां से आता है और कैसे आता है? तब मेरे योगेंद्र सर बोले कि यह गर्म पानी कार्बोनेट के वजह से आता है। कार्बोनेट पर अगर तुम पानी डालोगे वह पानी गर्म हो जाएगा। इसी कुंड में भीम ने स्नान कर राक्षस का वध किया था। हम लोगों ने भीम बांध का नजारा ही नहीं देख पाया। क्योंकि हम लोगों के लिए वह जगह सही नहीं था। हम लोगों ने पार्क भ्रमण किया। तरह तरह का झूला भी झूला। वहां तीन सुमिंग पुल भी देखा। हम लोगों ने नाश्ता भी किया। बाद में हम लोग खाना भी खाए। कुरकुरे और चिप्स भी खाए।
बाद में कम से कम 4:00 या 4:30 हम लोग घर के लिए रवाना हुए। हम लोगों ने उस पार्क को एक बार अच्छी तरह से देख लिया। बाद में हम लोग बस पर चढ़ गए। फिर एक लंबा जाम लग गया था क्योंकि उस जगह दो ट्रक का टक्कर हो गया था। इसी वजह से वहां पर एक्सीडेंट हो गया। हम लोग वहां दो घंटा रुके। फिर भी वह जाम नहीं छूटा। फिर बाद में हम लोगों ने दूसरा रास्ता पकड़ लिया घर जाने का। जब हम लोगों ने दूसरा रास्ता पकड़ा तो मैं बहुत हैरान हो गया। क्योंकि उस इलाके में सिर्फ ट्रक ही ट्रक थे। और कुछ भी नहीं। हम लोग संग्रामपुर होकर आए। हम लोगों ने बहुत ही लंबा सफर कर आया। हम लोग शायद 8 या 8:30 बजे शंभूगंज पहुंच गए। फिर बाद में हम लोग स्कूल के गाड़ी से घर आ गए। जब मैं अपने घर आया तब का समय 9:00 या 9:30 हो रहा था। बस यूं समझिये पूरा सफर आन्दमय यादगार हो गया।
– रोहित आनंद स्वामी, बांका, पूर्णिया, मेंहरपुर (बिहार) फोन न – 9334720170