मनोरंजन

बढ़ाना किराया – अनिरुद्ध कुमार

बहुत हो गया अब दिये जा किराया,

यही अब गुजारिश करो ना बकाया।

 

बहुत हो गया रोज का यह तमाशा,

बता कब मजूरी पुराना चुकाया।

 

नहीं मांगते दौलतों का खजाना,

हमेशा हमें क्यों अगूंठा दिखाया।

 

सरे-राह मरता सदा हीं भटकता,

हमें क्यों हमेशा बता आजमाया।

 

सभी को जरूरत बुलाते हमेशा,

मिरा हक दिये जा पसीना बहाया।

 

करें आरजू मत करो जुल्म इतना,

खता क्या हुई जो निशाना बनाया।

 

तुम्हें जिंदगी के उजाले मुबारक,

जिये ‘अनि’ खुशी से बढ़ाना किराया।

-अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड

Related posts

कविता – झरना माथुर

newsadmin

मेरे रंग में रंगने वाली – सविता सिंह

newsadmin

आजादी के दीवाने – रेखा मित्तल

newsadmin

Leave a Comment