मनोरंजन

शिक्षक – मधु शुक्ला,

कभी शिक्षक पढ़ाई निज सदन में ही कराते थे,

उन्हें  था  प्रेम  आदर  से नहीं धन वे कमाते थे।

 

पिता सम ध्यान शिष्यों का रखा करते सभी शिक्षक,

जहाँ  होती  पढ़ाई  वे  सदन  गुरुकुल  कहाते  थे।

 

हमारे  राम  कान्हा  ने  झुकाया  शीश  गुरु  पग  में,

पुराने  काल  में  गुरु  गृह  पठन  के  हेतु  जाते  थे।

 

समय  के  साथ परिवर्तन हुआ गुरु शिष्य रिश्तों में,

गरीबों  को  नहीं  शिक्षक  निकट अपने बुलाते थे।

 

समय की धार से पीड़ित सभी रिश्ते दिखें जग में,

रखें  यह  याद  गुरु से  ही सदा हम ज्ञान पाते थे।

— मधु शुक्ला , सतना , मध्यप्रदेश .

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