मनोरंजन

गीत – जसवीर सिंह हलधर

मैं तो नहीं हिला पाया , कविता दीवार हिलाएगी ।

मैं तो नहीं दिला  पाया ,कविता अधिकार दिलाएगी ।।

 

बटवारे की उस आंधी में कई घरौंदे टूट गए ।

जिन्ना नेहरू के झगड़े में कच्चे बर्तन फूट गए ।

मेले में भटके होते तो अब तक वापिस आ जाते ।

साथ साथ पानी पीते हम साथ साथ खाना खाते ।

मैं तो नहीं मिला पाया , कविता उस पार मिलायेगी ।।

मैं तो नहीं दिला पाया ,कविता अधिकार दिलाएगी ।।1

 

बटवारे की अनगिन लाशें किसकी कारस्तानी थी ।

सिसक सिसक कर बच्चे रोये वो किसकी हैवानी थी ।

बापू के तीनों बंदर ही मकसद अपना भूल गए ।

भूख गरीबी को झुठलाकर मज़हब के स्कूल गए ।

मैं तो नहीं पिला पाया, कविता रसधार पिलाएगी ।।

मैं तो नहीं दिला पाया ,कविता अधिकार दिलाएगी ।।2

 

मेरे गीत पास आयें तो उन्हें सहारा दे देना ।

लहरों में बहते छंदों को एक किनारा दे देना ।

जाति धर्म के दल्ले तुम पर दाग लगाने आएंगे ।

बीच बीच में कई मुसाफिर आग लगाने आएंगे ।

मैं तो नहीं जिला पाया, कविता संसार जिलाएगी ।।

मैं तो नहीं दिला पाया ,कविता अधिकार दिलाएगी ।।3

 

धर्म आड़ में बना राष्ट्र जो अब उसको मिटना होगा ।

पूरा पाक भले ना आये गिलगिट को हटाना होगा ।

काश्मीर का बच्चा बच्चा भारत की जय बोलेगा ।

सिंध प्रांत भी अपना रस्ता धीरे धीरे खोलेगा ।

मैं तो नहीं खिला पाया , कविता गुलनार खिलाएगी ।।

मैं तो नहीं दिला पाया ,कविता अधिकार दिलाएगी ।।4

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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