बचपन गुजर गया यूं ही देखते देखते,
बचपन गुजर गया यूं ही देखते देखते।
देखते देखते,
भैया देखते देखते।।
बचपन में मैं और मेरे मित्र,
साथ खेला करते थे।।
साथ खेला करते थे,
भैया साथ खेला करते थे।।
वो समय भी गुजर गया,
यूं ही देखते देखते।।
वो समय भी गुजर गया,
यूं ही देखते देखते।।
स्कूल से आने के बाद,
मोबाइल देखा करते था।।
देखा करते था देखा करते था,
मैं मोबाइल देखा करते था।।
यह वक्त भी गुजर गया,
यूं ही देखते देखते।।
गर्मी के दिनों में,
कच्चे आम खाया करते था।।
खाया करते था खाया करते था,
कच्चे आम खाया करते था।।
यह समय भी गुजर गया,
यूं ही देखते देखते।।
जब पहली बार घर गया था,
बहुत ही इज्जत मिला था।।
यह पल भी गुजर गया,
यूं ही देखते देखते।।
3 वर्ष के उम्र में ही,
मैंने मां शब्द खोया था।।
खोया था खोया था,
मैंने मां शब्द खोया था।।
यह समय भी गुजर गया,
यूं ही देखते देखते।।
देखते देखते,
भैया देखते देखते।।
बचपन गुजर गया यूं ही देखते देखते,
बचपन गुजर गया यूं ही देखते देखते।।
पिताजी के डांट से,
आया करता था छुपने मैं।।
मां के आंचल में,
आंचल में आंचल में,
मां के आंचल में।।
यह समय भी गुजर गया,
यूं ही देखते देखते।।
बचपन गुजर गया यूं ही,
पढ़ते-पढ़ते साथ खेलते खेलते।।
बचपन गुजर गया यूं ही,
पढ़ते-पढ़ते साथ खेलते खेलते।।
ये समय भी गुजर गया,
यूं ही देखते देखते।।
देखते देखते,
भैया देखते देखते।।
बचपन मिला है बच्चों,
खुलकर जिया करो।।
जिया करो जिया करो,
खुल कर जिया करो।।
क्योंकि यह समय फिर,
लौटेगा नहीं।।
क्योंकि यह समय फिर,
लौटेगा नहीं।।
बचपन मिला है बच्चों,
खुलकर जिया करो।।
जिया करो जिया करो,
खुल कर जिया करो।।
बचपन गुजर गया यूं ही देखते देखते,
बचपन गुजर गया यूं ही देखते देखते।।
देखते देखते,
भैया देखते देखते।।
– रोहित आनंद स्वामी
मेहरपुर, बांका, बिहार
9334720170