वादा सनम तुम यूं निभाया करो,
हम से नजर भी तुम मिलाया करो।
रूठे हुए क्यों हो बताओ जरा,
हम पे भी कुछ हक जताया करो।
हमने गुजारे जिस मकां में रात दिन,
उस दर कभी तुम जाँ लुटाया करो।
जिस चांद के खातिर कभी हम मिले,
छत पे कभी कुछ गुनगुनाया करो ।
पतझड़ रहा जो साथ मेरे सदा,
आके बहारों में सुलाया करो।
जो मिल ना पायी वो मुहब्बत हो मिरी,
चाहतो भरे कुछ मद पिलाया करो।
यह इश्क झरना जिंदगी का जुआ,
हमदम ना मुझको तुम रुलाया करो।
झरना माथुर, देहरादून , उत्तराखंड