neerajtimes.com पिण्डवाड़ा(राजस्थान)- आरोग्य चेतना समिति के द्वारा आयोजित स्मृति शेष ओमप्रकाश सिंह भदौरिया की द्वितीय पुण्यतिथि पर उत्सव गेस्ट हाउस में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन डॉ.अरुण प्रताप सिंह भदौरिया व आनंद भदौरिया के संयोजन किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त डॉ. शिव ओम अम्बर ने कवि सम्मेलन की अध्यक्षता की व संचालन बाजपुर उत्तराखंड से आये विवेक बादल बाजपुरी ने किया! कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर व दीप प्रज्वलित कर किया गया! तथा डॉक्टर गरिमा पाण्डे ने मा बागीश्वरी की वंदना पढ़कर कवि सम्मेलन प्रारम्भ किया ।
बुलन्दी साहित्यिक संस्था के मीडिया प्रभारी गुरुदीन वर्मा के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि डा शिव ओम अंबर कार्यक्रम क्रम को अपना आशीष देते हुए कहा-
लफ़्ज़ों में टंकार बिठा लहजे में खुद्दारी रख।
जीने की ख्वाहिश है तो मरने की तैयारी रख।।
श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ युद्ध निरंतर जारी रख।
बाजपुर उत्तराखण्ड से पधारे युवा प्रसिद्ध कवि विवेक बादल बाजपुरी ने अपने अंदाज में कुछ यों कहा-
कभी गोकुल की गलियां और राधेश्याम दिखते हैं,
मुझे बस मां के चरणों में चारो धाम दिखते हैं।
कन्नौज से पधारे ओम प्रकाश शुक्ल ‘अज्ञात’ ने जीवन के यथार्थ को चित्रित करते हुए कहा-
रोशनी के बीज बोये जग के लिए,
ढोते रहे तम का भार अपने लिए !
कहते हैं प्रात के ये बुझते दिए,
जलते हैं रात भर औरों के लिए !
फर्रुखाबाद के वरिष्ठ कवि बृजकिशोर सिंह किशोर ने अंतर्मन की पीड़ा दर्शाते हुये कहा-
वक्त से बेखौफ हो पंजा लड़ाते हैं,
दोस्तों से चोट खाकर मुस्कराते हैं।
कहकहों को बज्म में हैं बांटते यारों,
आंसुओं को हम अकेले में बहाते हैं।
कासगंज से पधारे निर्मल सक्सेना ने श्रोताओं को गुदगुदाते हुए कहा-
मैं तुम्हें प्रीत करूँ तुम भी मुझे प्रीत करो,
इतना गुस्सा नहीं अच्छा कि मन शीत हो जाये,
मुझसे लड़ना नहीं आता है इलेक्शन बिल्कुल,
दिल की संसद में सनम मुझको मनोनीत करो.
हरदोई से पधारे करुणेश दीक्षित सरल नें अंतर्मन की पीड़ा दर्शाते हुए कहा-
कभी जब याद में तेरी, छलक आती हैं ये आंखें।
खुद को दोष देता हूं मगर निर्दोष होता हूं।
डा गरिमा पांडेय लेखनी ने अपने गीत के माध्यम से समा बांधते हुए कहा-
कभी फुर्सत मिले तो प्रीति का पैगाम लिख भेजो।
किसी उड़ते हुए कागज पे मेरा नाम लिख भेजो।
रुद्रपुर उत्तराखण्ड से पधारे नवीन आर्या (नवी) वर्तमान परिवेश में कटाक्ष करते हुऐ कहा-
कलयुग के इस कालचक्र में इंसां की क्या हस्ती है।
किस्तों में चलती सांसे हैं जीवन से मौत सस्ती है।
लखीमपुर से पधारे श्रीकान्त सिंह ने किसानों का दर्द वयां करते हुए कहा-
मंहगाई है चरम पर मंहगा हर सामान।
लेकिन सस्ती हो गई है किसान की जान !
फर्रुखाबाद के महेश पाल सिंह उपकारी ने सत्यता को उजागर करते हुऐ कहा-
भौंककर काटने वाले कम, दुम हिलाकर काटने वाले बहुत हैं।
अंगुलियों पर गिनने को रह गये हैं बात वाले लोग अब तो थूककर चाटने वाले बहुत हैं।
रुद्रपुर,उत्तराखण्ड से पधारे पंकज शर्मा ने माँ की ममता को उकेरते हुये कहा-
नापेगा ममता क्या दूरी हो तुम,
कुछ कम है दुनिया पूरी हो तुम।
चलने को धरती चलती रहेगी,
सृष्टि चलेगी जरूरी हो तुम।
बरेली से पधारे पवन कुमार अंचल ने सुनाया-
खुशियों का मूल्य दे दर्द मोल लेता हूं,
क्या करूं स्वभाव ही मेरा कुछ ऐसा है।
उपवन के फूलों को छोड़ शूल चुनता हूं,
क्या करूं चुनाव ही मेरा कुछ ऐसा है।
डॉ. अरुण प्रताप सिंह भदौरिया ने कहा –
अंतस के रावण का बध करना होगा,
काम क्रोध मद लोभ मोह से लड़ना होगा।
राम तुम्हारे भीतर है बाहर क्यों ढूंढ रहे,
सच की राह पकड़ आत्मवल भरना होगा।
जलालाबाद शाहजहांपुर से पधारे सत्यार्थ दीक्षित ने सुनाया
एक छोटे से किरदार के किरायेदार हैं,
हम इस माटी की काया के पहरेदार हैं।
हर लफ्ज़ निकालो सलीके में जुबां से,
गौर से देखो हर उंगली उठने को तैयार है।।
डॉ शिव ओम अम्बर ने संयोजक मंडल को मंच से आशीर्वाद प्रेषित किया तथा कार्यक्रम के आयोजन की प्रशंसा की। मीडिया प्रभारी गुरुदीन वर्मा के अनुसार कार्यक्रम में डॉ. यश पाल सिंह चौहान, डॉ. सी.डी. यादव, अनिल भदौरिया, आनंद भदैरिया डॉ. के के शर्मा, डॉ. बी.के.चौधरी, डॉ श्रेय खंडूजा, मान सिंह, नरेन्द्र सिंह, शिवेंद्र, मनीष,पुष्प राज सिंह, जसवीर, सुजीत प्रधान, राजेश बाजपेयी, तरुण प्रताप सिंह, शशि सिंह, संध्या सिंह, रवि प्रताप सिंह, सतेंद्र प्रताप सिंह, गौरव सिंह, विनोद मिश्रा, आनंद, अग्रवाल सहित नगर तथा बाहर के सैकड़ों लोग उपस्थित रहे!