उत्तराखण्ड

चारों धामों के कपाट बंद होने की तारीखें घोषित

vivratidarpan.com श्री बदरीनाथ (उत्तरकाशी) –  श्री बदरीनाथ धाम के कपाट इस यात्रा वर्ष शनिवार 19 नवंबर को शाम 3 बजकर 35 मिनट पर बंद होंगे। जबकि श्री केदारनाथ धाम के कपाट 27 अक्टूबर प्रात: 8.30 बजे भैया दूज के अवसर पर बंद होंगे। श्री गंगोत्री धाम के कपाट 26 अक्टूबर गोवर्धन पूजा के दिन 12 बजकर एक मिनट तथा यमुनोत्री धाम के कपाट भैया दूज 27 अक्टूबर को मध्यान अभिजीत मुहूर्त में शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे। जबकि श्री हेमकुंड साहिब लक्ष्मण मंदिर के कपाट 10 अक्टूबर को बंद हो रहे है।विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि विजय दशमी के अवसर पर विधि-विधान पंचाग गणना के पश्चात तय हुई। इससे पूर्व मंदिर परिसर मैं नवरात्रि के दौरान नौ दिन तक मां उर्वशी पूजा संपन्न हुई आज दशमी में समापन हुआ विजय दशमी के महापर्व पर आज प्रात: 10.45 बजे देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भगवान बदरीविशाल के दर्शन किये। इस अवसर पर श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय तथा मंदिर उपाध्यक्ष किशोर पंवार, जिलाधिकारी हिमांशु खुराना, एसपी श्वैता चौबे एसडीएम कुमकुम जोशी ने उनकी अगवानी की। इस दौरान राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (अवकाश प्राप्त) गुरमीत सिंह भी श्री बदरीनाथ मंदिर के गुजराती भवन में रक्षामंत्री से शिष्टाचार भेंट की इस अवसर पर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय भी मौजूद थे। मंदिर समिति अध्यक्ष ने रक्षा मंत्री का माल्यार्पण अंगवस्त्र भेंटकर स्वागत किया।इसके पश्चात बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय एवं उपाध्यक्ष किशोर पंवार की उपस्थिति में आयोजित धार्मिक समारोह में रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने कपाट बंद होने की तिथि 19 नवंबर घोषित की। इस अवसर पर बदरीनाथ मंदिर को भब्य रूप से फूलों से सजाया गया था।आज दोपहर के बाद शुरू हुए धार्मिक समारोह में पूजा-अर्चना, विधि-विधान पूर्वक पंचाग गणना पश्चात लग्न, मुहुर्त देख कर तिथि तय की गयी। पूजा-अर्चना पंचाग गणना धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, अपर धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविन्द्र भट्ट द्वारा की गयी। कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत पंच पूजाओं में 15 नवंबर मंगलवार को पहले दिन पूजा अर्चना पश्चात शाम को श्री गणेश जी के कपाट बंद हो जायेंगे। दूसरे दिन 16 नवंबर बुद्धवार को आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद होंगे, तीसरे दिन 17 बृहस्पतिवार नवंबर को खडग पुस्तक पूजन एवं वेद ऋचाओं का पाठ बंद हो जायेगा। चौथे दिन 18 शुक्रवार नवंबर को मां लक्ष्मी जी को कढाई भोग लगाया जायेगा। तथा पांचवें दिन 19 नवंबर को रावल जी स्त्री भेष में मां लक्ष्मी को श्री बदरीविशाल के निकट स्थापित कर देते है। इससे पहले श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी मंदिर प्रांगण में आ जाते है। और श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।कुबेर जी रात्रि अवस्थान हेतु बामणी गांव चले जायेंगे। जबकि उद्धव जी रावल मंदिर के निकट रहते है। दिनांक 20 नवंबर को देवडोलियां श्री बदरीनाथ धाम से पांडुकेश्वर एवं श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ हेतु प्रस्थान करेंगी।
इस अवसर पर आदि गुरु शंकराचार्य जी की डोली के जोशीमठ तथा श्री उद्धव जी तथा कुबेर जी के पांडुकेश्वर प्रस्थान की तिथि निश्चित हो गयी‌। 20 नवंबर प्रात:श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी की देवडोली अपने पांडुकेश्वर स्थित मंदिर पहुंच जायेगी जबकि आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी 20 नवंबर को रावल सहित योगध्यान बदरी पांडुकेश्वर प्रवास करेगी।
दूसरे दिन 21 नवंबर सोमवार को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी।
इसी के साथ श्री बदरीनाथ धाम यात्रा का समापन भी हो जायेगा तथा योग बदरी पांडुकेश्वर तथा श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजायें शुरू हो जायेंगी।

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