पुण्य दिवस है, दो अक्टूबर,
भारत भाग्य विहान का।
गगन भेद चमका दो तारा,
हमारा हिन्दुस्तान का।
मुदित हुआ मन, गांधी को पा,
सत्य अहिंसा, गुमान का।
राम, रहीम का बना सेवक,
काबिल है वो प्रणाम का।
लाल बहादुर कर्मठता से,
जीत लिये दिल जहाँन का।
जै जवान को गले लगाया,
सम्मान किया किसान का।
युग परुषों ने राह दिखाई,
नूतन भारत निर्माण का।
लहर उठा ये जई तिरंगा,
भारतवर्ष के मान का।
इस पावन बेला हम सोचें,
अपने मान अभिमान का।
आये मिलजुल आज शपथ लें,
पुनः राष्ट्र निर्माण का।
भेद-भाव की बेड़ी तोड़े,
आदर करें ईमान का।
गीत अगर गाना हो गायें,
सच्चाई और ईमान का।
ईर्ष्या-द्वेष से दूर रहे,
सोंच हो जन कल्याण का।
चमका है, चमकेगा तारा,
भारतवर्ष उत्थान का।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह, सिन्दरी,
धनबाद, झारखंड।