अपने सिर पर अब पाप नहीं ढोएंगे ।
अरि के शोणित से ही कलंक धोएंगे ।।
बासठ की यादों में वो फूल रहा है ।
सड्सठ की चोटों को जो भूल रहा है ।।
वो जिनपिंग हमको क्या समझे बैठा है ।
नापाक पड़ौसी को फुसला ऐंठा है ।।
शोणित भारत का पिघला लोह तरल है ।
छू भी मत लेना बहती हुई अनल है ।।
ठंडा करना बासठ का क्रोध प्रजा का ।
ड्रैगन को समझा देंगे धर्म ध्वजा का ।।
खोई निष्ठा अब दुनिया में पाने को ।
भारत अब दौड़ रहा आगे आने को ।।
चीनी चूहों के दंत बड़े घातक हैं ।
घर में भी तो गद्दार खड़े पातक हैं ।।
कुछ ढोंगी मजहब की आयत पढ़ते हैं ।
जो रोज धर्म के नए नियम गढ़ते हैं ।।
भाई चारे की नीति न जिनको प्यारी ।
वो कम्युनिस्ट चीनी हैं अत्याचारी ।।
कुछ नेता इनके पैरोकार बने हैं ।
जिनके पद कीचड़ में कर खून सने है ।।
जो इनको अपना मित्र कहा करते हैं ।
मुँह से विष वाण विचित्र बहा करते हैं ।।
विघटन की बातें करती कंगालिन को ।
ढाका जा समझा देंगे बंगालिन को ।।
नेपाल नहीं माना तो पछताएगा ।
तिब्बत की भांति चीन उसको खायेगा ।।
पी ओ के लेने की पूरी तैयारी ।
नापाक फौज हमले से पहले हारी ।।
जो भी भारत का चलता रथ रोकेगा ।
भारत उसको घर में घुस कर ठोकेगा ।।
हलधर”कविता अंगारा है सच मानों ।
घर में बैठे दुश्मन को भी पहचानो ।।
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून