साँवली सूरत मोहिनी मूरत मन में बसाई है
आ जा कन्हैया मुरलीवाले तेरी राधा बुलाती है।
मधुबन की कुंज गलिन की राह निहारे है,
किस ओर से आए मेरा कान्हा राधा देखे है।
पूनम की रात सुहानी तारों की बारात सजी है,
कान्हा अब तक आए नहीं है राधा सोचे है।
मन व्याकुल थोड़ा विचलित राधिका सोचे है,
आ जाओ कान्हा तेरी राधा तुझको बुलाती है।
मुरली अधरों पर रखकर राधा नाम सुनाओ,
हे गिरिधारी देर न कर राधा तुझको बुलाती है।
यमुना की लहरें भी व्याकुल हो उफनती जाएँ,
हे प्राणनाथ आ जाओ कालिंदी चरण पखारे है।
– अनुराधा प्रियदर्शिनी, प्रयागराज उत्तर प्रदेश