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ग़ज़ल – डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक

रात भर जागती रहीं आँखें,

उसको ही ढूँढ़ती रहीं आँखें ।

 

किसने आँसू दिये मुहब्बत में,

दिल से यह पूछती रहीं आँखें ।

 

हम छुपाते रहे ज़माने से,

राज़ सब खोलती रहीं आँखें ।

 

उसने क्यूँ हमसे बेवफ़ाई की,

उम्र भर सोचती रहीं आँखें ।

 

वो न आया पलट के उसका ,

रास्ता देखती रहीं आँखें ।

 

हम ही समझे नहीं जुबां उनकी,

हम से कुछ बोलती रहीं आँखें ।

– डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक, लुधियाना

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