रात भर जागती रहीं आँखें,
उसको ही ढूँढ़ती रहीं आँखें ।
किसने आँसू दिये मुहब्बत में,
दिल से यह पूछती रहीं आँखें ।
हम छुपाते रहे ज़माने से,
राज़ सब खोलती रहीं आँखें ।
उसने क्यूँ हमसे बेवफ़ाई की,
उम्र भर सोचती रहीं आँखें ।
वो न आया पलट के उसका ,
रास्ता देखती रहीं आँखें ।
हम ही समझे नहीं जुबां उनकी,
हम से कुछ बोलती रहीं आँखें ।
– डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक, लुधियाना