मनोरंजन

गजल – ऋतु गुलाटी

ये हालात भी कसमसाने लगेगे,

बुरा जिंदगी को  बनाने लगेगे।

 

न सोची जुदाई मिलेगी वफा से,

ये अपने भी दिल को दुखाने लगेगे।

 

हुई  होम ये जिंदगी आज यारो,

सभी आज आँखे दिखाने लगेगे।

 

घटा बहुत कुछ जिंदगी मे कभी का,

किसे दर्द जाकर बताने लगेगे।

 

सहे दुख उम्रभर रहे चुप जहां मे,

मजाके  वही तो उड़ाने लगेगे।

 

हुई है गलतफहमियां दरम्या में,

दिली आज  बातें छुपाने लगेगे।

 

रहा खाक बाकी बचा जिंदगी ऋतु

दुखी जिंदगी अब बिताने लगेगे।

– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

किचन के बर्तन – झरना माथुर

newsadmin

चमत्कारी यंत्र (श्रीयंत्र) – अंकुर नागौरी

newsadmin

समर्पित – प्रदीप सहारे

newsadmin

Leave a Comment