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ग़ज़ल – बृंदावन राय सरल

पराए दर्द को सीने में पाल कर देखो।

तुम अपनी आंख से आँसू निकाल कर देखो।।

 

पराई आबरू लेने का भेद जानोगे,

खुद अपनी शान पे कीचड़ उछाल कर देखो।।

 

न हाथ आएगा फिर जिंदगी का नामोनिशां,

तुम अपने अज़्म को अब तो मशाल कर देखो।।

 

खिलौना जान के इंसा को तोड़ने वालो,

बस एक लाश में तुम जान डाल कर देखो।।

 

मिलेगा पुण्य तुम्हें सारे तीर्थों का सरल,

किसी का गिरता हुआ घर संभाल कर देखो।।

– बृंदावन राय सरल ,सागर, मध्य प्रदेश

मोबाइल 7869218525

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