तुम बिन जिंदगी अब मैंने,
बस ऐसे ही गुज़ारी थी,
तुम मिली थी लगता था
ज़िन्दगी बहुत प्यारी थी..!
पूरी हुई थी ख़्वाहिश मगर,
तुम मेरे पास नहीं हो,,
साथ न होकर भी होना
खुशकिस्मती हमारी थी..!
तुम पास न होती थी
चाह पल-पल में सताती थी,,
रातें सारी जागते गुजर जाती थी,
नींद आती ही नहीं थी..!
तुम्हारा आना लगा था,
जैसे सुकून की बरसात हुई,,
जो पहले कभी मेरी,
बंजर सी ज़मीं पाई जाती थी..!
करम #विनोद के मेरी #रेखा,
तुम नसीब में लिखी थी,
प्रभु तुम्हारा शुक्रिया अदा
मुझे देवी की छवि मिली थी..!
ईश्वर से बस एक गुज़ारिश है,
जन्मों का साथ कभी न छूटे,
मुझे हर जन्मों में वही मिले,
जो इस जन्म में मिली थी…!
—विनोदशर्मा ‘विश’ संपादक