हे गिरिराज कृपा करके मन मैल तिरोहित ही कर देना।
दूषित भाव हलाहल के सम दूर कृपानिधि जी धर देना।
द्वेष प्रपंच मिटें दिल से यह आप सभी जन को वर देना।
भक्त सदा शुभ कर्म करें शुभ सम्मति ये मन में भर देना।8
भक्ति भरे दिल से शिव पूजक विग्रह का अभिषेक कराते।
बिल्व धतूर लिए कर में शुभ अमृत पंच सदैव चढ़ाते।
ले जल गंग पुनीत व शीतल वे मन से जल धार गिराते।
जाप करें मन ही मन में प्रभु के सम्मुख फिर शीश नवाते।।
सावन माह सभी सभी जन जाकर मंदिर में जल नित्य चढ़ाते।
भक्ति भरा अभिषेक करें फल पुष्प चढ़ा निज शीश झुकाते।
प्रेम भरी जयकार करें भजनामृत की शुभ धार बहाते।
साधक, याचक हो नत मस्तक शंकर को नित खूब मनाते।।
– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश