बारी है फुलवारी है बेटी तो सबको प्यारी है,
चंदा जैसी शीतल बेटी सूरज सी उजियारी है।
बेटी तो सबको प्यारी है …..
जगमग जगमग दीप द्वार की बेटी तुलसी क्यारी है,
बाबू के आंगन की रौनक माॅं की राज दुलारी है।
बेटी तो सबको प्यारी है….
गौरैया सी इत उत फुदके तितली सी इठलाती बेटी,
कोयलिया सी मधुर राग में झूम झूम के गाती बेटी।
बेटी तो सबको प्यारी है……
बेटी से सजता घर आंगन राजमहल की बेटी रौनक,
पापा के हृदय में बसती दूजे कुल की अधिकारी है।
बेटी तो सबको प्यारी है…..
दुल्हन बन के सजती रहती भैया के सॅंग तनिक ना पटती,
नोक झोंक करती रहती भैया की बहन दुलारी है।
बेटी तो सबको प्यारी है… …
बेटी बिन घर सूना लागे रौनक घर का फीका लागे,
जिम्मेदारी खूब समझती हर बेटी संस्कारी है।
बेटी तो सबको प्यारी है…
.- मणि बेन द्विवेदी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश