मनोरंजन

रह जाऊँगी सोचने के लिए – सुनीता मिश्रा

सुनते  नही हैं आज वो…

मेरी आंखों की खामोशी को…

लगता है प्रेरित कर रहे हैं खुद को….

मुझसे दूर जाने के लिये…

आज समझ नहीं आता उन्हे…

चिल्लाना मेरी खामोश आँखों का….

देखना कल रूला देगा उनको …

मेरा खामोश हो जाना…

जरूरी तो नही …

हर बात कहूँ…

उनको लबों से अपने…

कुछ लफ्ज़ ….

मेरी आंखे बयां करती है …

बिन बोले ही….

आज नही समझते हैं …

वो मेरी उस भाषा को…

जो बयां करती है मेरी आंखे…

देखना कल ढूंढगे वो रोकर मेरी…

खामोश बोलती आंखों को…

नहीं जानती …

वो क्या सोचता है मेरे बारे मे ?

पर जाने के बाद मेरे…

रह जाऊँगी बस मैं ही…

सोचने के लिए पास उनके….

……✍️सुनीता मिश्रा, जमशेदपुर

Related posts

क्या हमारा है – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

यादों का रेला – डी.एल.श्रीवास्तव

newsadmin

हिंदी ग़ज़ल – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

Leave a Comment