मनोरंजनतू पसंद है मुझको – गुरुदीन वर्माnewsadminSeptember 10, 2022 by newsadminSeptember 10, 20220127 हर अदा और हर रूप में, तू पसंद है मुझको। गाता हूँ हर महफिल और ,गीतों में मैं तुझको।। हर अदा और हर रूप में———————।।...
मनोरंजनगजल – ऋतु गुलाटीnewsadminSeptember 10, 2022 by newsadminSeptember 10, 20220121 नजर तुम हमी से चुराओ कभी। हमे भी वो दुनिया दिखाओ कभी। मिले प्यार हमको सनम आपका सुनो बात दिल की सुनाओ कभी। ...
मनोरंजनकुछ घाव पुराने लगते हैं – किरण मिश्राnewsadminSeptember 8, 2022 by newsadminSeptember 8, 20220115 टीस उठे जब अन्तस में, अपने बेगाने लगते हैं। मुस्कानों का मरहम कम, कुछ घाव पुराने लगते हैं। आँखें डब डब करती हैं, रोती है...
मनोरंजनहिंदी ग़ज़ल – जसवीर सिंह हलधरnewsadminSeptember 8, 2022 by newsadminSeptember 8, 20220104 सभ्यता लौटी नहीं अब तक फिरंगी झील से । मोर लड़ लड़ मर रहे हैं मांस खाती चील से । रोग कोरोना बड़ा या...
मनोरंजनहिंदी ग़ज़ल – जसवीर सिंह हलधरnewsadminSeptember 7, 2022 by newsadminSeptember 7, 20220128 ये राज आज उसने गुजरते हुए कहा । आती जवानी याद ये मरते हुए कहा । जन्नत जमीं पे आसमां प्रश्नों का जाल है...
मनोरंजनमेरी मातृभाषा हिन्दी है – गुरुदीन वर्माnewsadminSeptember 7, 2022 by newsadminSeptember 7, 20220153 मेरी मातृभाषा हिन्दी है, यही गीत सबको सुनाता हूँ। राष्ट्रभाषा हिन्दी है देश की,यही सबको मैं समझाता हूँ।। जय बोलो तुम हिन्दी की/गावो गाथा तुम...
मनोरंजनकलम मेरी – पूनम शर्माnewsadminSeptember 7, 2022 by newsadminSeptember 7, 20220114 कुछ मर्म लिखूं तो कलम मेरी, रो-रो कर अश्क बहाती है । दर्द जो देखे वो जग के तो , घुट कर ही रह जाती...
मनोरंजनमाचिस – प्रदीप सहारेnewsadminSeptember 6, 2022 by newsadminSeptember 6, 2022097 औंधी पड़ी , माचिस की डिबीया । सिसक रही थी । कर रही थी कुछ, खुद से बड़ बड़ । मैं थोड़ा रुका, लगी कुछ...
मनोरंजनहिन्दी भाषा का गौरव – हरप्रीत कौरnewsadminSeptember 6, 2022 by newsadminSeptember 6, 20220100 हिन्दी भाषा का गौरव बनाए रखना, देश के माथे की ये बिंदी सजाए रखना। यह है हिन्दोस्तानियों की राष्ट्र-भाषा, इसे राष्ट्र की भाषा बनाए...
मनोरंजनउम्मीद – दीपक राहीnewsadminSeptember 6, 2022 by newsadminSeptember 6, 20220101 क्या कहूं मैं उनसे, जो उम्मीद लगाए बैठे हैं, सब कुछ भुलाकर अपनी, जी जान लगाए बैठे हैं, क्या कहूं मैं उनसे, जो उम्मीद लगाए...