उत्तर प्रदेश

अंतरिक्ष में नया इतिहास रचेंगे लखनऊ के शुभांशु – विवेक रंजन श्रीवास्तव 

neerajtimes.com –  3 अप्रैल 1984 को जब विंग कमांडर राकेश शर्मा सोयूज टी-11 यान में धरती की हदें लांघकर अंतरिक्ष में पहुंचे थे, तब उन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के “भारत अंतरिक्ष से कैसा दिखता है?” के सवाल पर जवाब दिया था , सारे जहां से अच्छा ” । चार दशक बाद, 8 जून 2025 को शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करेंगे और भारत के अंतरिक्ष यात्री बनकर इतिहास रचेंगे
शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा वहां सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में हुई। मात्र 16 वर्ष की आयु में उनके जीवन का निर्णायक मोड़ आया, जब एक मित्र ने उनके लिए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) का फॉर्म बिना परिवार को बताए भर दिया। यह छोटा सा कदम आगे चलकर उन्हें भारतीय वायुसेना में ले आया, जहाँ उन्होंने सुखोई-30, मिग-21और मिग-29जैसे लड़ाकू विमानों के साथ 2,000 से अधिक घंटे की उड़ान का अनुभव हासिल किया ।
उनकी उपलब्धि पर पिता शंभू दयाल शुक्ला कहते हैं”हमें यकीन नहीं था कि हमारा बेटा इतना बड़ा मुकाम हासिल करेगा।” तो माँ आशा शुक्ला कहती हैं- “मैं ज्योतिष जानती थी । मैंने कहा था तू अंतरिक्ष जाएगा!”
2019 में शुभांशु को ISRO के गगनयान मिशन के लिए चार प्रस्तावित अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल किया गया। इसी दौरान, भारत सरकार ने नासा और एक्सिओम स्पेस के साथ समझौता किया, जिसके तहत ISRO ने ₹550 करोड़ का भुगतान कर शुभांशु को एक्सिओम-4 मिशन में भागीदार बनाया । यह मिशन ISRO, NASA, ESA और एक्सिओम स्पेस का संयुक्त प्रयास होगा । इस मिशन से पहला कोई भारतीय आई एस एस पर जाएगा ।
24 मई 2025 को शुभांशु और अन्य चालक दल के सदस्यों को 14 दिन के क्वारंटीन में भेज दिया गया है । ताकि अंतरिक्ष यात्रा से पहले किसी भी तरह के संक्रमण का जोखिम न रहे । 8 जून को भारतीय समयानुसार शाम 6:41 बजे, फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के ड्रैगन यान से प्रक्षेपण किया जाएगा।
इस मिशन का वैज्ञानिक योगदान सूक्ष्मगुरुत्व में भारतीय खाद्य प्रणालियों का परीक्षण , मैक्रोबायोटिक परिस्थितियों में बीजों को रखना, जिन्हें बाद में पृथ्वी पर उगाया जाएगा , अनुभवों को वीडियो और तस्वीरों के माध्यम से देशवासियों के साथ साझा करना होगा।
शुभांशु की यह यात्रा 2027 में गगनयान मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव सिद्ध होगी । इसरो चेयरमैन एस. सोमनाथ के नेतृत्व में भारत मानव अंतरिक्ष उड़ानों में स्वावलंबन की ओर बढ़ रहा , शुभांशु की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो साधारण परिवेश से निकलकर असाधारण सपने देखता है। (विभूति फीचर्स)

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