मनोरंजन

झाड़ियों से जीवन तक – डॉ. सत्यवान सौरभ

 

झाड़ियों में पड़ी, एक नन्ही कली,

आधी सर्द हवाओं में काँपती हुई सी।

उसकी आँखों में सवाल था, बिना जवाब के,

कौन होगा जो उसे अपनी ममता दे?

 

कूड़े के ढेर में बसी एक कहानी,

बच्ची की सिसकियाँ, ढूँढ रही थीं नई सुबह की झाँकी।

हर एक नन्हे हाथ में, आसमान छूने की चाह,

सिर्फ सर्द हवा ने उसे दिया था साथ।

 

लेकिन फिर एक दिल ने उसे देखा,

एक अनजान हाथ ने उसे अपनी गोदी में लिया।

ममता की राह में बसी एक आशा,

जहाँ हर दर्द को आशीर्वाद बना दिया।

 

नवजीवन को एक आश्रय मिला,

किसी ने उसे जीवन की राह दिखलायी।

झाड़ियों से निकली वह नन्ही कली,

अब नई पहचान, एक उम्मीद की शख्सियत बनायी।

 

यह सिर्फ एक कहानी नहीं है,

यह हमारे समाज का चेहरा है, जो अक्सर झूठा साबित होता है।

हर लावारिस बच्ची का हक है एक जीवन,

यह हमारी जिम्मेदारी है, सबको दें इसका सम्मान।

डॉ सत्यवान सौरभ,  उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045

Related posts

अशोक यादव को मिला रसिक कवित्व सम्मान

newsadmin

आज तक बाकी तुम्हारा – अनुराधा पाण्डेय

newsadmin

ग़ज़ल – ऋतु गुलाटी

newsadmin

Leave a Comment