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महावीर की साधना – प्रियंका सौरभ

 

ध्यान, तपस्या, त्याग में, जिनका जीवन लीन।

उनका पावन मार्ग है, सदा रहे हसीन।।

 

सत्य, अहिंसा, क्षमा, तप, धर्म, ज्ञान का सार।

महावीर के वचन में, छिपा मुक्ति का द्वार।।

 

हटते जब अहंकार तो, शुद्ध होवे विचार।

महावीर को मानकर, रहिये सुखी अपार।।

 

राग-द्वेष को त्याग कर, जीये हर इंसान।

महावीर का पंथ है, सच्चा धर्म विधान।।

 

लोभ-मोह को त्याग कर, पाई मन पे जीत।

महावीर की साधना, बनी जगत की प्रीत।।

 

मौन रहकर भी कहा, जग को सच उपदेश।

महावीर के शब्द हैं, अमृत से विशेष।।

 

नहीं किसी को दुःख दे, यही धर्म का मर्म।

महावीर के सूत्र में, छुपा हुआ है धर्म।।

 

संयम जिसकी साँस में, शांति जिसका ध्यान।

उस वीर महावीर का, करें सभी गुणगान।।

– प्रियंका सौरभ 333, परी वाटिका, कौशल्या भवन बड़वा

(सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045,

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