मनोरंजन

रुख जिधर हो – सुनील गुप्ता

रुख

जिधर हो हवा का,

उसी तरफ, चले जाएं बहते  !

रुकें न झुकें, कभी झंझावातों से….,

मंज़िल पे बनाए रखें, अपनी निगाहें  !!1!!

 

मुख

जिधर भी हो हमारा,

उसी ओर, चलें हम देखते  !

पीछे न देखें, कभी यहाँ मुड़के…..,

और आगे से आगे, चलें सतत बढ़ते !!2!!

 

गुम

किधर हो गए सभी,

इस भागती दौड़ती दुनिया में  !

चलें ढूंढे मिलकर, इन सभी को..,

और तसल्ली से बैठकर, गुफ़्तगू करें !!3!!

– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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