ख्याब आँखो मे हंसी उसने सजाया होगा,
मेरा चेहरा ही उसे बस नज़र आया होगा ।
जान कहता था मुझे सिर्फ वो तन्हाई में,
अपनी पलकों मे मेरा प्यार छुपाया होगा।
आज देखी है कशिश इश्क की आंखों में तेरी,
कोई तूफ़ान तेरे दिल में भी आया होगा।
अपनी पलकों में मेरा प्यार सजाया होगा,
हँस के हर गम को सदा दिल से छुपाया होगा।
खूब दुनिया को बदलते हुऐ देखा हमने।
अपनो ने ही तो इल्जाम लगाया होगा।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़