मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

बातों से दिल हँसता है,

सच कह दूँ दिल डरता है।

 

लाख छुपा रही प्यार को,

ये दिल तुम पर मरता है।

 

समझा ना,दिल रोता था,

बिन तेरे सब धोखा है।

 

आत्मा मे वो बसा रहा,

पिता की कमी कहता है।

 

पीर पराई क्या जाने,

मस्ती मे तू रहता है।

 

क्यो मेरा दिल तड़प रहा,

चाहत मे दिल खिलता है।

 

बिछड़ न जाऊं यार कभी,

दिल इस बात से डरता है।

 

दूर  में  हो  पाऊंगी केसे,

दिल तुझ पर ही मरता है।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

मनहरण घनाक्षरी (भारत देश) – कमल धमीजा

newsadmin

गीत – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

धरती – ममता जोशी

newsadmin

Leave a Comment