हाय बीत गया फागुन मुझे पिया अकेला छोड़ गए !
सरहद बन गयी सौतन पिया सारे वादे तोड़ गए !!
बासंती बयार चली ,राग रंग गली गली ,
मुझको पिया के मीठे वादे सताने लगे !
टेसू रंग लाल लाल , बेरी दिखता गुलाल ,
फागुन में देवर भी मुझको चिढ़ाने लगे !
मधुमास जलाए बदन छालों पर गरल निचोड़ गए !!
सरहद बन गयी सौतन पिया सारे वादे तोड़ गए !!1!!
कल रात पिया मेरे, सपने में आए सखी ,
मैंने हाथ थामा तो बहियाँ छुड़ाने लगे !
जाने कैसी बंदूक हाथ में लिए थे सखी ,
मुझे उस बैरन के गुण समझाने लगे !
सपनों में जला चमन यादों की गगरिया फ़ौड गए !!
सरहद बन गयी सौतन पिया सारे वादे तोड़ गए !!2!!
दानिनी मचल उठी ,क्रोध मुझे आया सखी ,
प्रेम की पिपासा छोड़ लाम पर जाने लगे !
रागिनी थिरक रही ,अंग अंग मेरे सखी ,
आकुल नयन मेरे नीर बरसाने लगे !
मैं करती रही रुदन वो भरी कलाई मरोड़ गए !!
सरहद बन गयी सौतन पिया सारे वादे तोड़ गए !!3!!
रोम रोम पिया पिया ,दोहराता गात सखी ,
सपने के दृश्य मुझे तीर सा चुभाने लगे !
पिया पिया बोलता है ,मन का पपीहा सखी ,
अखियां खुली तो प्राण ढाढ़स बंधाने लगे !
मैं करती रही मनन वो क्यों मुझसे मुँह मोड गए !!
सरहद बन गयी सौतन पिया सारे वादे तोड़ गए !!4!!
– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून