कभी जिंदगी मे न आये बलाएँ,
दुआ आज देती सदा मुस्कुराएँ।
सदा आप फूले फले मुस्कुराएँ,
चलो आज ले लो हमारी बलाएँ।
लगे चाँद सी तुम,करे प्यार तुमको,
खुशी का है मौका, मैं देती दुआएँ।
सजाया नही है कभी घर को मैने,
तुम्हारे लिये चल इस घर को सजाएँ।
चलो साथ मिलकर हमेशा रहेगे,
बड़े प्यार से इक दूजे को रिझाएँ।
मोहब्बत हर एक पल भी अच्छी नहीं है,
हमारी तमन्ना है रूठे मनाएं।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़