अभिमान के सहारे, जीवन नहीं कटेगा।
सहयोग प्रेम से ही, हर पल सुखद बनेगा।
भ्रम हो गया जिसे यह,है खास वह जगत में।
होगा सदैव धन, मद, का दास वह जगत में।
जीवन सफर अकेले वह सर्वदा करेगा ……..।
जिसका अहं सखा हो, रिश्ते न साथ देंगे।
जब शूल पग चुभेंगे,अपने न हाथ देंगे।
हर स्वप्न खाक होगा, हरदम हृदय जलेगा ……।
किस बात का किसी को , होता घमंड जाने।
हर अल्प ज्ञान वेत्ता, खुद को प्रधान माने।
कुछ भी करो विधाता, तुमको न जग कहेगा….।
सम्मान दूसरों को,जो व्यक्ति दे रहा है।
सद्भाव एकता की ,जो नाव खे रहा है।
हमदर्द को निकट वह , हर वक्त ही रखेगा ….।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश