मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

बोझ जीवन का अपने उठाते रहो,

ख्वाब पूरे करो और कराते रहो।

 

तुमकों खुशियां मिले गुनगुनाते रहो,

है दुआ उमर भर मुस्कुराते रहो।

 

गर लिखी है जो ग़ज़ले बड़े प्यार से,

तुम उसे फिर तरन्नुम मे गाते रहो।

 

जिसको चाहा सदा उसकी पूजा करो,

एक दूजे को मिलकर मनाते रहो।

 

दर्द बाँटो सदा दीन दुखियों के अब,

हर किसी को गले तुम लगाते रहो।

 

ज्ञान बाँटो सदा तुम भला भी करो,

कुछ न कुछ आप सबको सिखाते रहो।

 

फायदा हो सभी को नीयत ये रखो,

दीप  तूफान  में  भी  जलाते  रहो।

– रीता गुलाटी. ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

हवलदार देवी प्रकाश सिंह वीर चक्र स्मृति शेष -हरी राम यादव

newsadmin

मुझको सन्तुष्टि इसी में है – गुरुदीन वर्मा

newsadmin

बजट बनाने में वित्त मंत्री के जगह प्रधानमंत्री का अर्थशास्त्रियों से मिलना दुर्भाग्यपूर्ण – अरुण कुमार श्रीवास्तव

newsadmin

Leave a Comment