बड़ा मुश्किल हुआ है अब रिझाना,
खफा हो आज इतने जाने जाना।
हुई आज गलती क्या कहे हम,
हुआ बेकार तुमको समझाना।
अदा कैसी तुम्हारी रूठते हो,
नही है बात कोई फिर सताना।
सुना है चाँद पर भी आज जाना,
बना लूँ यार मैं भी आशियाना।
दिया जो प्यार तूने अब हमे वो,
नही किसी को यारा अब जताना।
छुपी है कोई चिंगारी तो दिल मे,
नही बात दिल की सब बताना।
रहेगें संग हरदम प्यार से हम,
ये बातें भूल कर भी ना गिनाना।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़