मनोरंजन

सैनिक संकल्प – जसवीर सिंह हलधर

आँधी तूफानों के साये ,चाहे मौत सामने आये ।

भारत माँ की रक्षा वाली ,मैं सौगंध नहीं तोडूंगा ।।

 

इस मांटी में पला बढ़ा हूँ ,इस मांटी ने दी तरुणाई ।

पहली मां ने दूध पिलाया,दूजी ने सौपी अरुणाई ।

बूँद बूँद शोणित पर मेरे ,उनका सबसे पहला हक है ।

पल पल बाट जोहने वाली ,विरहन तो दूजी ग्राहक है ।

मुझ पर घात लगाने वालों ,घाटी को दहलाने वालो ,

नस नस बहते राष्ट्र गान का ,मैं तट बंध नही तोडूंगा ।।

 

सरकारों से क्या लेना है ,वो तो आयेंगी जायेंगी ।

कुछ थोड़ा सा कम खाती है, कुछ थोड़ा ज्यादा खायेंगी ।

मुझ पर क्या अंतर लायेंगी ,नेताओं की भाषण वाजी ।

राज करें ठाकुर या पंडित  , ये संकल्प न होगा खंडित ।

हिन्दू मुस्लिम रटने वालो ,खुद अपना ईमान सँभालो ,

कसम तिरंगे की खायी जो ,वो अनुबंध नहीं तोडूंगा ।।

 

मेरा अंत पता है मुझको ,समर भूमि में तर जाऊँगा ।

दुश्मन का सीना फाडू या ,लड़ते लड़ते मर जाऊंगा ।

फर्ज निभाओ तुम भी अपना ,दिल्ली वाले खद्दर धारी ।

देश धर्म से बहुत बड़ा है ,सबसे पहली जिम्मेदारी ।

गल जाऊं यदि पग ये अटके ,जल जाऊं यदि मन ये भटके ,

अपने मन पर लगा रखा जो ,वो प्रतिबंध नहीं तोडूंगा ।।

 

मेरी माँ की मर्यादाये ,मुझसे ज्यादा स्वाभीमानी ।

भरत वंश की वीर कथायें , रही सुनाती दादी नानी ।

मुझको झुका नही सकती है ,मौसम की तीखी बाधाएँ ।

बहती हवा सुना जाती है ,अमर शहीदों की गाथाएँ ।

सूरज पहली किरण उतारे ,सागर जिसके पांव पखारे ,

हलधर “इस पावन मांटी से ,निज संबंध नही तोडूंगा ।।

भारत मां की रक्षा वाली, मैं सौगंध नहीं तोडूंगा ।।

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

Related posts

मौन हुई मुखर गायिका शारदा सिन्हा – कुमार कृष्णन

newsadmin

कविता – अशोक कुमार यादव

newsadmin

शांति के लिए रामबाण औषधि गणपति अथर्वशीर्ष – आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा ‘वैदिक’

newsadmin

Leave a Comment