मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

जख्म दिल का दिखाने से क्या फायदा,

जो दिया है मिटाने से क्या फायदा।

 

दर्द  देता  अब  लुत्फ  उनका  मुझे,

अपनी आंखें भिगाने से क्या फायदा।

 

जिसको चाहा है बस उसकी पूजा करो,

हर जगह सर झुकाने से क्या फायदा।

 

सब को खुशियां मिलें वो सुनाओ यहां,

दर्द  के  गीत  गाने  से  क्या  फायदा।

 

जो उतर ही गया दिल में और रूह में,

उसको यूं भूल जाने से क्या फायदा।

 

जब मिला न सुकूँ जिंदगी मे अगर,

फिर करोड़ों कमाने से क्या फायदा।.

 

ज़ख्म बढ़ता गया याद आते थे तुम,

मुसकुरा कर दिखाने से क्या फायदा।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़

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