मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

हर शख्स उलझनों से गुजरता ज़रूर है,

खा कर के ठोकरें वो संभालता जरूर है।

 

ये और बात है के जलाता है सब को खूब,

सूरज खुद अपनी आग में जलता जरूर है।

 

हमने किया है प्यार भी सच्चा ही आपसे,

दिल आ गया है यार निभाना जरूर है।

 

खुशहाल सा कटेगा सुनो वक्त आज तो,

गहरा सा उनसे कोई तो रिश्ता जरूर है।

 

देखे हैं आज सपने भी बाँहो मे हम रहे,

कुछ वक्त उनके दिल मे बिताना जरूर है।

 

हमने भी खूब बंदगी उनकी बड़ी करी,

सोचे हैं*ऋतु हर हाल मे मिलना जरूर है।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

गमेश्वर महादेव जहां नागराज शिवलिंग से लिपटते हैं – पवन वर्मा

newsadmin

कब गीता ने ये कहा – प्रियंका सौरभ

newsadmin

प्रीति के गुनगुना लें तराने – सरला मिश्रा

newsadmin

Leave a Comment