महानता ज़हान को दिखा रही है भारती ।
विज्ञान संग वेद भी सिखा रही है भारती ।
कहीं पुकार धर्म की कहीं पुकार कर्म की ।
महीन ओट मर्म की ,सरीन ओट शर्म की ।
जमीन चाँद चांदनी नवीन राग रागनी ,
विशाल रूप धार मुस्कुरा रही है भारती ।
महानता ज़हान को दिखा रही है भारती ।।1
उड़ा जहाज व्योम में मशीन बोलती हुई ।
जहाज की दहाड़ से जमीन डोलती हुई ।
उड़ान आसमान की महान देश गान की,
प्रवीन गीत जीत के सुना रही है भारती ।
महानता ज़हान को दिखा रही है भारती ।।2
सड़ी सड़ी कुरीति नीति आग झोंक दे रही ।
अड़ी पड़ी अनीति प्रीत राग रोक दे रही ।
दिशा दिगंत लाल है जली नई मसाल है ,
मज़ा कमीन चीन को चखा रही है भारती ।
महानता ज़हान को दिखा रही है भारती ।।3
विशाल देव लोक को महीन तोलती हुई ।
खगोल के प्रलोक के रहस्य खोलती हुई ।
महान ध्यान योग से बचे शरीर रोग से ,
दवा वबा को रोक को बना रही है भारती ।
महानता ज़हान को दिखा रही है भारती ।।4
–जसवीर सिंह हलधर , देहरादून