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सौभागिनी हर बालिका – डॉ सत्यवान सौरभ

बालक हो या बालिका, दोनों एक समान।

भेदभाव फिर क्यों करें, अपनी ही संतान।।

 

सिहर सिहर घन बालिका, गाये गीत मल्हार।

लिपट धरा के अंक से, नभ को रही निहार।।

 

बागों की है रागिनी, है गीतों की छंद।

सौभागिनी हर बालिका, इनसे हर सम्बन्ध।।

 

छोटे हाथों बालिका, करे बड़े सब काम।

मुठ्ठी में किस्मत भरे, मेहनत को अंजाम।।

 

परियों सी मन मोहती, करके नित नव नाज।

सौरभ रखती बालिका, हटकर सब अंदाज।।

 

बिलख रही है बालिका, फैला जहर समाज।

रक्षक ही अब लूटते, सौरभ उनकी लाज।।

 

बदलेंगे कैसे भला, बिटिया के हालात।

केवल उसके नाम के, नारों की बरसात।।

 

सम है बालक बालिका, बदलो रीति रिवाज।

हँसी-ख़ुशी, दोनों पलें, समय पुकारे आज।।

 

सारे बालक-बालिका, करते रहें विकास।

घर-घर आँगन में लगे, इनसे है मधुमास।।

 

हर क्षेत्र में अग्रणी, स्वयं बने पहचान।

पाती मंजिल बालिका, रचती कीर्तिमान।।

– डॉo सत्यवान सौरभ, 333, परी वाटिका,

कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी,

हरियाणा – 127045, मोबाइल :9466526148,

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