वादा कइनी लागल आस।
गाँधी मानीं जानीं खास।
जिंदा बानी बिन हुल्लास।
रातो-दिन झाँकी आकाश।
आजइतीं भूले से काश।
आशा बा आई मधुमास।।
मजबूरी आवे ना रास।
भूखे बानी जोरें प्यास।
बेकारी से लोग उदास।
नवही के लेसे उदबास।
आजइतीं भूले से काश।
आशा बा आई मधुमास।।
मँहगाई से लोग हताश।
रोजे होखे ला उपवास।
बर बेमारी खींचें साँस।
राह निहारें लोग निराश।
आजइतीं भूले से काश।
आशा बा आई मधुमास।।
पढ़-लिख बाबू खेलस तास।
का करिहें ई भटकस पास।
बेरोजी के लटकल साँस।
सब दिन लागत बा खरमास।
आजइतीं भूले से काश।
आशा बा आई मधुमास।।
रउआ राजा हमनी दास।
राउर झंडा लागे खास।
राउर सबके रोज तलाश।
मानीं ई अंतिम अरदास।
आजइतीं भूले से काश।
आशा बा आई मधुमास।।
अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड